राम जी ने जो किया और कृष्ण जी ने जो कहा वो करना चाहिए_ कथा व्यास रमाकान्त शास्त्री
राम जी ने जो किया और कृष्ण जी ने जो कहा वो करना चाहिए_ कथा व्यास रमाकांत शास्त्री
खमरिया में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन अपर्णा पीठ आचार्य कथा व्यास रमाकांत ने भगवान श्री हरि के विभिन्न अवतारों की कथा सुनाई, जिसमें बेटी के महत्व को बताया गया कि बेटी दोनों कुलो की शान है, पिता और बेटी की दोस्ती पर व्यास कथा हो श्रोता दोनों भावुक हो गए
सतीप्रसंग की कथा में कहा गया है कि एक दिन गगन के चित्रों में सात देवताओं को प्राप्त हुए शंकर जी से सती ने कहा था कि पिता यहां यज्ञ कर रहे हैं तो शिवजी ने कहा कि कोई वचन नहीं है, तो सती जी ने अपने पिता दक्ष को ही कहा था के पास चला गया। कथा व्यास ने बताया कि जहां पति का सम्मान नहीं होता, वहां पत्नी को भी नहीं जाना चाहिए, लेकिन सती जी ने दक्ष के यज्ञ में जो स्नान किया और देखा कि भगवान शंकर का कोई स्थान नहीं है, तो वही सती यज्ञ कुंड में कूद पड़े। गया। सती जैसी ही कुंड में कूदी बिजली कड़कने लगी, यज्ञ का समापन हो जाए, यह खबर जैसे शिवजी को मिली तो उन्होंने वीरभद्र को दर्शन देकर आमंत्रित किया और दक्ष के सिर पर विभूति बकरे का सर लगा दिया। इसके बाद भगवान बामन और राम जी के अवतार की कथा इसके बाद भगवान कृष्ण के जन्म की कथा सुनी।
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