Vastu Shastr: वास्तु के अनुसार आठ दिशाऐं और उनके यह होते हैं प्रभाव
वास्तुशास्त्र में सभी दिशाओं के लिए यहां वास्तुशिल्प मंदिर और मूर्तियां बताई गई हैं। चार प्रमुख दिशाओं की जानकारी हम सभी को हैं। लेकिन वास्तु में एक शुभ भवन के निर्माण के लिए चार प्रमुख दिशाओं के अलावा चार अन्य दिशाओं में जाने वाले वास्तुशिल्प भी स्थापित किए गए हैं, इन सभी दिशाओं का अलग-अलग प्रभाव है। कृष्ण शास्त्री ने बताया है कि भगवान की इन मूर्तियों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न वास्तुशिल्प के निर्माण से लेकर उन वस्तुओं को रखने के स्थान के संबंध में वास्तुशिल्प में कई नियम बनाए गए हैं। इन नेशनल मार्केट्स में घर बैठे व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि के साथ ही एक भी तरलता भी मिलती है, तो आइए जानते हैं पं. भारतीय कृष्ण शास्त्री से प्रत्येक दिशा में जाने वाली वास्तु सम्मत आश्रम एवं निर्माण-
1:-उत्तर दिशा:- वस्तुओं के संग्रहकर्ता, खाद्य पदार्थों के भंडारन और औषधियों को रखने के लिए उत्तर दिशा है। उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर जी मूल रूप से इस दिशा में निर्मित मुख्य द्वार आर्थिक समृद्धि प्रदान करते हैं। इस दिशा की तुलना में दक्षिण और पश्चिम दिशाओं को और अधिक दिखाया गया है। 2:-उत्तर-पूर्व दिशा का अर्थ (ईशान)- ईशान दिशा का संबंध सात्विक ऊर्जा से होता है। यह दिशा ध्यान, अध्यात्म और धार्मिक दार्शनिकों के लिए अत्यंत दुर्लभ मणि है। यहां पर नटखट के लिए स्वागत कक्ष भी बनाया जा सकता है। उत्तरी ईशान में भूमिगत जल टैंक बनाया गया है जो उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है। इस सात्विक ऊर्जा से संबंधित दिशा को देखें, मूल विशेष रूप से इस दिशा को हमेशा साफ रखें। 3:-पूर्व दिशा:- सूर्य पूर्व दिशा का स्वामी है, यह वास्तु में सबसे प्रमुख दिशाओं में से एक मणि की आकृति है। पूर्व दिशा उद्यान का निर्माण बहुत अच्छा है। यहां पर आप सुंदर उपचार प्राप्त कर सकते हैं। सामान्यता इस दिशा को भी उत्तर के समान ही स्केल से बेहतर परिणाम मिलता है। अगर आप यहां किसी तरह का निर्माण कराना चाहते हैं तो आप गेस्ट रूम भी बनवा सकते हैं। पूर्व में निर्मित अतिथि कक्ष आपके सामाजिक संपर्कों को बढ़ाने में बहुत सहायक सिद्ध होगा.! 4:-दक्षिण-पूर्व अर्थात (अग्नेय):- अग्नि तत्व से संबंधित इस दिशा में किचन का निर्माण आपकी आय में वृद्धि करता है और बेहतर कैश फ्लो प्रदान करता है। अग्नेय में आप बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व गैजेट्स भी खरीद सकते हैं.! 5:-दक्षिण दिशा:- दक्षिण दिशा में मकान का निर्माण किया जा सकता है। यहां निर्मित एक आरामदायक अनुभव प्रदान करता है, आपकी नींद का गुण भी पुराना और ईमानदार भी है। ध्यान रखें कि सोसल वक्ता आपका सिर दक्षिण दिशा की ओर है। 6:- दक्षिण-पश्चिम अर्थात (नैऋत्य):- इस दिशा का संबंध तमस से होता है। मूल रूप से यह भी एक आरामदायक शयन कक्ष के निर्माण के लिए अच्छी दिशा है, हालांकि इस स्थान पर बने शयन कक्ष का उपयोग घर के मुखिया द्वारा किया जाना चाहिए। यह जीवन शैली प्रदान करती है। 7:- पश्चिम दिशा:- इस दिशा में आप विश्राम कक्ष बना सकते हैं। यहां स्वास्थ्य लाभ के लिए भोजन दिया गया है। इसके अलावा यहां बच्चों द्वारा मेहनत के बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए स्टडी रूम भी बनाया जा सकता है। 8:-उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य):- चौधरी इस दिशा का संबंध भी दक्षिण-पूर्व दिशा के राजस जिले से है, मूल रूप से रसोई बनाने के लिए यह भी एक उत्तम दिशा है। इस स्थान को वाहन भंडार के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।
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