इस बार दो दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी,देखे मुहूर्त

 जन्माष्टमी का पर्व अबकी बार रोहिणी नक्षत्र योग में 26 अगस्त में कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त


 रहली।जन्माष्टमी का पर्व इस बार देशभर में 26 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जाएगा।


जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है। जन्माष्टमी पर भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। हर साल जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी पर बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। जैसे योग भगवान कृष्ण के जन्म के समय बने थे वैसे ही योग इस बार भी बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य नरेंद्र मिश्रा के अनुसार इस बार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जाएगा। इस बार के बने शुभ योग में व्रत रखने से भक्तों को व्रत को चार गुना अधिक फल मिलने वाला है। देश मे कही कही पंचांग में मतांतर से 27 तारीख को भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी।



जन्माष्टमी पर बने हैं बेहद शुभ योग


इस बार संयोग ऐसा बना है कि जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि एक ही दिन है जिससे की साधु सन्यासी और गृहस्थ सभी एक ही दिन भगवान कृष्ण की भक्ति उपासना कर पाएंगे। पंचांग की गणना बता रही है कि 26 तारीख को सोमवार के दिन अष्टमी तिथि सुबह 3 बजकर 40 मिनट से आरंभ होगी। 26 तारीख को रात के 2 बजकर 20 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी। जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र दोपहर में 3 बजकर 55 मिनट से आरंभ होगा और 27 तारीख की मध्य रात्रि 3 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।



शुभ योग का शुभ संयोग


इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे जैसा की भगवान कृष्ण के जन्म के समय संयोग बना है। दरअसल, उस दिन भी चंद्रमा वृषभ राशि में ही थे। जिस रात में अष्टमी तिथि मध्यकाल में होती है उसी दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा का वृषभ राशि में होना बेहद ही शुभ फलदायी रहेगा। साथ में अगर जन्माष्टमी पर सोमवार या बुधवार हो जाए तो यह बहुत ही दुर्लभ संयोग बनाता है। बुधवार और सोमवार को जन्माष्टमी होने पर पर्व का शुभ योग का संयोग बनता है। दरअसल, जिस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था उस दिन बुधवार था। ठीक इससे छह दिन बाद यानी सोमवार को भगवान कृष्ण का नामकरण आदि कार्य किए गए थे। इसलिए जन्माष्टमी सोमवार या बुधवार में होना बेहद शुभ मानी जाती है।



जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त


जन्माष्टमी के दिन वैसे तो आप किसी भी समय पूजन कर सकते हैं। लेकिन, इस दिन पूजा के लिए तीन बेहद ही शुभ मुहूर्त है जिसमें पूजा करना बहुत ही शुभ फलदायी साबित होगा। सुबह 5 बजकर 56 मिनट से 7 बजकर 37 मिनट तक सुबह की पूजा के लिए उत्तम समय इस दौरान अमृत चौघड़िया रहने वाला है।


शाम के समय लाभ और अमृत चौघड़िया पूजन का मुहूर्त 3 बजकर 36 मिनट 6 बजकर 49 मिनट तक


वहीं, रात में 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक निशीथ काल का समय सबसे उत्तम रहेगा जो जन्माष्टमी पूजन के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त है।


Comments

Popular posts from this blog

सरस्वती शिशु मंदिर रहली में कक्षा अरुण से द्वितीय तक के भैया/बहिनों की माताओं का मातृ स्नेह सम्मेलन का आयोजन

Pandharpur mela: Bundelkhand के पंढरपुर में तीन दिवसीय कार्तिक उत्सव आज से। पूर्णिमा को होगा मेले का आयोजन।